परिवर्तन के समय जो, ना परिवर्तित होगा,

साथ रहेगा अहित, हित न उसका हित होगा!

 

इन पंक्तियों को अगर ध्यान से पढ़ें, तो समझ पढ़ता है, कि समय-समय पर परिवर्तन ज़रूरी हैं और हित इसी में है कि हम परिवर्तनों को सकारात्मक रूप से स्वीकारें।

कुछ इसी बात को ध्यान में रखते हुए पुरानी शिक्षा प्रणाली को बेहतर बनाने और रचनात्मक सुधार लाने के लिए, इसमें कुछ सकारात्मक परिवर्तन किये गए हैं और 34 वर्षों की कड़ी मेहनत के बाद तैयार की गयी है ‘नई शिक्षा नीति – 2020’ का।

एक ऐसी नीति जो संकायों के भेद को मिटा देगी, जो विद्यार्थियों को उनके मनपसंद विषय चुनने का अवसर प्रदान करेगी। यह नीति रट्टू तोते नहीं, बल्कि प्रतिभावान दिमाग विकसित करेगी।

 

‘नई शिक्षा नीति 2020’ से आने वाले बदलावों को निम्न बिन्दुओं के माध्यम से समझा जा सकता है -

 

१. व्यावहारिक प्रशिक्षण -

इस नीति के अनुसार क्रियात्मक और व्यावहारिक ज्ञान को बढ़ावा देने और पाठ्यक्रम को मजेदार बनाने के लिए एक ऐसी गतिविधि की शुरुआत की गयी है जिसमें विद्यार्थी 10 दिनों के लिए बिना बैग के स्कूल आएंगे। इन 10 दिनों की बिना बैग की कक्षाओं में विद्यार्थी हमारे आस-पास के बढ़ई, बागवान, मूर्तिकारों,  संगीतकारों, आदि कलाकारों से उनके कौशल को सीखेंगे। नई शिक्षा नीति की इस पहल के माध्यम से बच्चे कम उम्र में ही आत्मनिर्भर बनेंगे और हर छोटे-बड़े कार्य की महत्वता को समझेंगे।

 

२. मातृभाषा को बढ़ावा -

वर्तमान चलन में अंग्रेजी की श्रेष्ठता में तेज़ी से विस्तार हुआ है। अंग्रेज़ी वैश्विक स्तर पर समझी जाने वाली सबसे महत्वपूर्ण भाषा के रूप में आज हमारे समक्ष प्रस्तुत है। परन्तु नई शिक्षा नीति विद्यार्थिओं को अपनी मातृभाषा में पढ़ने का अवसर प्रदान करती है। इस नीति के माध्यम से बच्चों की सीखने की भाषा और बोलने की भाषा के अंतर को समाप्त करने का प्रयास किया गया है। यह नीति हमारी बहु-भाषी संस्कृति को भी बढ़ावा देती है।

 

३. उच्च शिक्षा का उपयोग स्वदेश के निर्माण में -

भारत के जाने-माने कवि ‘सनेही’ साहब कि यह पंक्ति कहती है कि “वह हृदय नहीं है पत्थर है, जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं”। इस नीति के माध्यम से प्रयास किया गया है कि विद्यार्थी श्रेष्ठ उच्च शिक्षा प्राप्त करें और अपनी ऊर्जा स्वदेश के बेहतर निर्माण में लगाएं।

 

४. बहु-निकासीय विकल्प –

यह नीति इस बात पर विशेष ध्यान देती है कि यदि विद्यार्थी निर्धारित तिथि के बीच में ही पाठ्यक्रम को छोड़ देते हैं तो वह ड्रॉपआउट नहीं कहलायेंगे।

क्रेडिट स्कोर के माध्यम से पाठ्यक्रम का 1 वर्ष पूर्ण होने पर विद्यार्थी को ‘सर्टिफिकेट’ मिलेगा, दूसरे वर्ष में ‘डिप्लोमा’ और तीसरा वर्ष पूर्ण करने पर ‘स्नातक डिग्री’ मिलती है।

 

 

‘नई शिक्षा नीति - 2020’ की परिकल्पना कुछ इस प्रकार की गई है जिससे विद्यार्थियों के मन में नैतिक मूल्यों एवं मौलिक अधिकारों के प्रति सम्मान की भावना जाग्रत हो तथा विद्यार्थियों में विषयों की रचनात्मक समझ विकसित हो सके।

 

WhatsApp Icon WhatsApp Us