नवरात्रि के 9 दिन पूरे होने वाले हैं और हम सब भी देवी माँ को प्रसन्न करने के लिए जुटे हुए हैं! पर नवरात्रि क्यों मनाते हैं? 
नवरात्रि ही क्यों अगर सनातन धर्म के किसी भी त्योहार की बात करें तो आपको पता चलेगा कि हमारी पूजा, क्रिया और हर धार्मिक कार्य के पीछे कोई न कोई वैज्ञानिक तर्क अवश्य होता है।

 



 

 

नवरात्रि क्यों मनाते हैं? 


माँ दुर्गा, लक्ष्मी और सरस्वती, ये ऐसे 3 परिमाण हैं जो पृथ्वी,सूर्य, और चन्द्रमा को प्रतीकत्व करती हैं, जिन्हें हम तमस, राजस, और सत्त्व भी कहते हैं।
जिन्हें शक्ति, या सामर्थ्य पाने की इच्छा होती है वे माँ दुर्गा या प्रकृति की पूजा करते हैं। जो लोग पैसा, या भौतिक चीज़ों की इच्छा रखते हैं वे माँ लक्ष्मी या सूर्य की पूजा करते हैं। 
जो लोग ज्ञान, या सबसे श्रेष्ठ होना चाहते हैं वे सरस्वती या चंद्रमा की पूजा करते हैं।
इन तीनों परिमाणों के बिना कोई भी भौतिक वस्तु का होना मुमकिन नहीं है। एक भी कण, इन तीनों परिमाणों के प्रकृति, ऊर्जा, और कंपन से मुक्त नहीं है। इन तीन तत्वों के बिना, आप किसी भी चीज़ को एक साथ नहीं रख सकते। उदाहरण, अगर स्वभाव में सिर्फ सत्त्व मौजूद है और बाकी सारे तत्व नहीं हैं, तो आप यहां एक पल भी नहीं रह पायेंग, अगर सिर्फ तमस मौजूद है, तो आप हर समय सोते ही रहेंगे। ये तीन गुण हर चीज़ में मौजूद हैं। 

इन तीनों गुणों को नियंत्रण करने वाली देवियों की आराधना हम नवरात्रि के समय करते हैं। 

 

 

9 दिनों तक ही क्यों मनाई जाती है नवरात्रि?


नौ रातों और नौ दिनों को नौ देवियों की आराधना करते हुए नवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है पर क्या आपने कभी सोचा है कि हम 9 दिन ही क्यों नवरात्रि मनाते हैं?
9 अंक जैन धर्म, बुद्ध धर्म, और चीनी मान्यताओं में भी बहुत महत्त्व रखता है और शुभ माना गया है। सनातन संस्कृति में भी नवरत्न, नवग्रह, नवरस, शरीर के नव द्वार और नव दुर्गा पूजनीय हैं। एक माँ भी अपने बच्चे को 9 महीने तक अपने पेट में रखती है। अब अगर गणित के नज़रिए से समझें तो 9 नंबर पूरे decimal system में सबसे बड़ी single-digit value है। 9 अंक के सारे गुणक ऐसे हैं जिनको जोड़ने पर हमेशा 9 ही आता है।
9 के बाद फिरसे 1 आता है जो हमें नई शुरआत करने की सीख देता है।
 

हिंदू सिद्धांत के अनुसार, 9 दिनों तक नवरात्रि मनाने के पीछे एक पौराणिक कथा है। पृथ्वी पर महिषासुर नामक राक्षस का आक्रमण था। राक्षसों के आक्रमण से सर्वत्र हाहाकार मच गया। परेशान होकर सभी देवी-देवताओं ने एकत्रित होकर महाशक्ति मां दुर्गा से प्रार्थना की। तभी राक्षसों के क्रोध से माँ दुर्गा प्रकट हुईं और राक्षसों से युद्ध हुआ। मां दुर्गा के साथ राक्षसों का यह युद्ध 9 दिन और 9 रात तक चला। दशमी के दिन माँ दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस का वध किया और सभी राक्षसों का विनाश किया। तभी से 9 दिनों तक देवी दुर्गा की पूजा करने की परंपरा शुरू हुई।

 

 

9 दिनों तक नवरात्रि मनाने के पीछे एक और कहानी है जो भगवान श्री राम से भी जुड़ी है। भगवान राम ने अपनी वानर सेना के साथ लंका में रावण का वध किया। लेकिन रावण को मारना इतना आसान नहीं था। श्री राम और रावण के बीच बहुत बड़ा युद्ध हुआ। रावण को मारने के लिए श्रीराम ने 9 दिनों तक देवी मां की आराधना की थी। आखिरी दिन यानी नौवें दिन देवी मां प्रकट हुईं और भगवान श्री राम को जीत का आशीर्वाद दिया। जिसके बाद दशमी के दिन भगवान श्री राम ने रावण का वध किया।

तो ये थी कुछ दिलचस्प कहानियाँ जो हमें बताती हैं कि आखिर क्यों 9 दिनों तक मनाई जाती है नवरात्रि।

 

नवरात्रि में व्रत उपवास क्यों रखे जाते हैं?


चलिए जानते हैं कि क्या विज्ञान है हमारे व्रतों के पीछे!
आपने अगर गौर किया हो तो नवरात्रि हमेशा मौसमी बदलाव के समय पर ही मनाई जाती है। अगर खासतौर पर चैत्र और शारदीय नवरात्रि की बात करें, ये गर्मियों की शुरुआत में और दूसरी बार सर्दियों की शुरुआत में मनाई जाती है। यदि आप पैटर्न पर गौर करें तो इस मौसमी बदलाव के दौरान हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (immunity) बहुत ज्यादा कम हो जाती है। हमारी sleep cycle में भी बदलाव आते हैं। 

 


ऐसे ही समय पर मनाई जाने वाली नवरात्रि में जब हम उपवास और व्रत रखते हैं और बिना लहसुन प्याज वाला सात्विक खाना खाते हैं तो हमारे पाचन तंत्र को आराम लेने का मौका मिलता है। आयुर्वेद के अनुसार, लहसुन, प्याज, मांस और अंडे खाने से आप आसपास की नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करते हैं। व्रत रखने से हमारे intestine की सफाई होती है और उसकी परतें भी मज़बूत होती हैं।

व्रत उपवास हमारे शरीर में insulin resistance को कम करके blood sugar level को बेहतर करती है।

नवरात्रि में व्रत उपवास करने से देवी माँ तो खुश होती हैं, हमारा शरीर भी खुदको detoxify कर पाता है, हममें आत्म - संयम बढ़ता है।

 

व्रत में सेंधा नमक ही क्यों खाते हैं?

 

अगर खाने में ज़रा सा भी नमक कम या ज्यादा हो जाए तो पूरा स्वाद किरकिरा हो जाता है। जो हम नमक उपयोग करते हैं जो कि समुद्री नमक होता है, जिसे regular नमक भी कहते हैं, व्रत के समय पर ये सदा नमक नहीं खाया जाता है बल्कि सेंधा नमक खाने में डाला जाता है। क्या आपको पता है कि हम व्रत में सिर्फ सेंधा नमक ही क्यों खाते हैं?

 

 

वैसे तो व्रत में किसी भी प्रकार के नमक को खाने के लिए मना किया जाता है पर आमतौर पर लोग सफ़ेद नमक की बजाय सेंधा नमक व्रत में उपयोग करते हैं। सफ़ेद नमक artificial तरीकों से बनता है और इसमें मिलावट होती है। तुलनात्मक दृष्टि से, सेंधा नमक प्राकृतिक होता है और इसमें potassium, zinc, iron, calcium जैसे लगभग 84 minerals हैं। सेंधा नमक से हमारा ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है और शरीर का Ph बैलेंस रहता है। ये हमारे शरीर के cellular mineral absorption को सरल कर देता है। व्रत के दौरान हमारे शरीर में ऊर्जा बनी रहे इसीलिए सेंधा नमक हमें electrolytes प्रदान करता है। इसके साथ ही सेंधा नमक body की immunity और metabolism दोनों को मज़बूत बनाता है।

 

 

नवरात्रि साल में 4 बार मनाई जाती है।


नवरात्रि का त्योहार भारत की बदलती ऋतुओं के साथ साल में 4 बार मनाया जाता है। 

नवरात्रि को 4 बार मनाने के पीछे प्राकृतिक कारण हैं। जैसा की आप जानते हैं, भारत में 3 प्रकार के प्रमुख फसल ऋतुएँ हैं और इनकी कटाई के समय ही नवरात्रि मनाई जाती है।

 


पहली, रबी, ये शीत ऋतू की फसलें हैं जिनमें गेहूं, जौं, चना, सरसों, मटर जैसी फसलों को अक्टूबर और नवम्बर के महीने में बोया जाता है और अप्रैल से मई के महीने में कटाई की जाती है और इसी समय हम मनाते हैं “चैत्र नवरात्रि”।

 

दूसरी, खरीफ, जिनमें कपास, मूंगफली, चावल, बाजरा, मक्‍का जैसी फसलों को जून और जुलाई के महीनों में बोया जाता है और अक्टूबर और नवंबर के महीनों में कटाई की जाती है और इसी समय हम मनाते हैं “शारदीय नवरात्रि”।

 

तीसरी, जायद, जिनमें मार्च और अप्रैल में तरबूज, खीरा, ककड़ी, खरबूज, जैसी फसलों को बोया जाता है और इनकी कटाई जून में होती है और तब हम मनाते हैं “असाढ़ नवरात्रि”

 

 

चौथी, अब कुछ ऐसी हरी सब्जियां जैसे पालक, गाजर, मटर हैं तो रबी की ही फसलें लेकिन इन्हें सितम्बर से अक्टूबर में बोया जाता है और जनवरी के आस पास काटा जाता है और इसी समय हम मनाते हैं “माघी नवरात्रि”

 

हमारे त्योहार सिर्फ भगवान देवी देवताओं को प्रसन्न करने के लिए नहीं मनाए जाते बल्कि ये हमें प्रकृति के प्रति कृतज्ञ होना भी सिखाते हैं। इन चारों नवरात्रि में हम देवी माँ और प्रकृति माँ, दोंनों का ही आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

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